पढें essay on mahatma gandhi/ महात्मा गांधी पर निबंध
महात्मा गांधी पर निबंध
- भूमिका
- जीवन-परिचय
- रंगभेद की नीति के शिकार हुए
- भारतीय जनता को संगठित करने और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष
- अहिंसा का मार्ग
- एक महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी
- संयुक्त राष्ट्र से सम्मान
- निष्कर्ष
भूमिका
मोहनदास करमचंद गांधी जिन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के नाम से भी जाना जाता है, एक समाज सुधारक और स्वतंत्रता योद्धा थे, जिन्होंने भारत को ब्रिटिश राज के हाथों से मुक्त कराने के लिए कड़ी मेहनत की। उनका विश्वास ‘अहिंसा’ (अहिंसा) के सिद्धांतों पर आधारित था। उनके सम्मान में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के नाम से मनाया जाता है, क्योंकि पूरा देश उनके प्रयासों का ऋणी है। इस दिन को (2 अक्टूबर) गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ (International Day of Non-Violence) के रूप में मनाया जाता है। उनके सभी अभियानों ने देश के नागरिकों के बीच एकता की भावना पैदा की, उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए एक साथ लाया। महात्मा गांधी अपने सिद्धांतों के लिए जाने जाते हैं जिसका अनुसरण करते हुए उन्होंने देश को स्वतंत्रता की ओर अग्रसर किया।
जीवन-परिचय
महात्मा गांधी को भारत में “बापू” या “राष्ट्रपिता“ के नाम से भी संबोधित किया जाता है। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात प्रांत के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था । 30 जनवरी 1948 को उनकी मृत्यु हो गई। उनके माता-पिता कट्टर हिंदू थे । इनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई गांधी था। इनके पिता पोरबंदर रियासत के दीवाने थे। मोहनदास करमचंद गांधी का विवाह 13 वर्ष की आयु में कस्तूरबा गांधी के साथ कर दिया गया। इन दोनों (महात्मा गांधी और कस्तूरबा गांधी) की आयु लगभग समान थी। इन दोनों ने 62 वर्ष तक वैवाहिक जीवन साथ बिताया। महात्मा गांधी 18 वर्ष की आयु में एक पुत्र के पिता हो गए थे। मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के तुरंत बाद वह कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए थे।
रंगभेद की नीति के शिकार हुए
महात्मा गांधी पेशे से बैरिस्टर थे। एक बार महात्मा गांधी जब डरबन से प्रिकटोरिया तक रेलवे द्वारा प्रथम श्रेणी के डिब्बे में यात्रा कर रहे थे तब रास्ते में मैरित्सबर्ग पर एक गोरा उनके डिब्बे में घुसा और उन्होंने स्थानीय पुलिस की सहायता से उन्हें धक्का देकर नीचे उतारकर फेंक दिया क्योंकि दक्षिण अफ्रीका में किसी भी भारतीय को चाहे वह कितना ही धनी क्यों ना हो उन्हें गोरों के साथ यात्रा करने की अनुमति नहीं थी। मैरित्सबर्ग कांड ने महात्मा गांधी के जीवन की यात्रा को एक नई दिशा दी।
रंगभेद की नीति के खिलाफ़
दक्षिण अफ्रीका में अंग्रेज भारतीयों के साथ रंगभेद की नीति किया करते थे वहां प्रत्येक भारतीय के लिए पंजीकरण प्रमाण–पत्र ले जाना जरूरी होता था। इसके लिए उन्हें कर देना पड़ता था और इसे हर समय अपने साथ रखना होता था। महात्मा गांधी ने पहली बार सत्याग्रह के रूप में अहिंसात्मक विशिष्ट तकनीक का इस्तेमाल दक्षिण अफ्रीका में किया। इसके द्वारा उन्होंने अनेक भेदभाव को समाप्त करने की कोशिश की।
भारतीय जनता को संगठित करने और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष
महात्मा गांधी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत आए और उन्होंने भारत को आजादी दिलाने में अनेक महत्वपूर्ण कार्य किये। सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धांतों के माध्यम से महात्मा गांधी ने भारतीय जनता को संगठित करने का और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करने का मार्ग सिखाया। वे विभाजन के खिलाफ थे और हमेशा हिंदू मुस्लिम एकता के बात करते थे। उनका सपना एक ऐसे भारत का निर्माण करना था जिसमें सभी धर्मों के लोग एक दूसरे के साथ भाई-चारे और समरसता में रह सकते हैं।
अहिंसा का मार्ग
महात्मा गांधी ने भारत को आजादी दिलाने के लिए अहिंसा का मार्ग अपनाया। भारत आने के बाद उन्होंने ब्रिटिश शासन से विभिन्न समस्याओं का सामना कर रहे भारतीय लोगों की मदद करना शुरू कर दिया। महात्मा गांधी ने अंग्रेजी शासन से पीड़ित देश के नागरिकों की मदद के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया।
एक महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी
वह एक महान समाज सुधारक और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे । उन्होंने विदेशी वस्तुओं के उपयोग से बचने और भारतीयों के बीच स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए चरखे के माध्यम से सूती कपड़े बुनना शुरू किया।
अश्वेतों के खिलाफ अन्याय के उनके अनुभव ने उन्हें नस्लवाद के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया।
महात्मा गांधी ने दुनियाभर के कई अंतरराष्ट्रीय नेताओं को प्रभावित किया है। उनका संघर्ष निश्चित रूप से नेताओं के लिए प्रेरणा बन गया।
गांधी ने नेल्सन मंडेला को उनके स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रभावित किया। इसके अलावा, लैंज़ा-डेल-वास्तो गांधी जी के साथ रहने के लिए भारत आए।
संयुक्त राष्ट्र से सम्मान
संयुक्त राष्ट्र ने महात्मा गांधी का बहुत सम्मान किया है। संयुक्त राष्ट्र ने 2 अक्टूबर को “अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस” के रूप में मनाये जाने की घोषणा की। तब से हर वर्ष 2 अक्टूबर को “अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस” के रूप में मनाया जाता है।
निष्कर्ष
राष्ट्रवाद के इतिहास में ऐसे व्यक्तियों को राष्ट्र-निर्माण के साथ जोड़कर देखा जाता है, जिन्होंने अपने राष्ट्र के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उदाहरण के लिए हम इटली के निर्माण के साथ गैरीबाल्डी को, अमेरिकी स्वतंत्रता के युद्ध के साथ जॉर्ज वाशिंगटन को और वियतनाम को औपनिवेशिक शासन से मुक्त करने में चीमिन्हहो को जोड़ कर देखते हैं। इसी तरह भारत को आजादी दिलाने में हम महात्मा गांधी को जोड़ कर देखते हैं। महात्मा गांधी को भारतीय राष्ट्रवाद का पिता माना जाता है।
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