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परिचय
अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है जिसमें अध्ययन किया जाता है कि मनुष्य अपनी असीमित आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सीमित संसाधनों का उपयोग करने का विकल्प कैसे चुनते हैं।अंग्रेजी भाषा में अर्थशास्त्र शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द :ओइकोस (घर) और नेमीन (प्रबंधन) से हुई है। इस प्रकार उनका अर्थ है- ‘घर का प्रबंधन’। ‘प्रत्येक घर की आवश्यकताएँ असीमित हैं लेकिन उन्हें संतुष्ट करने वाली अधिकांश मुख्य वस्तुएँ जैसे भोजन, कपड़ा आदि सीमित या दुर्लभ हैं। लोगों को वह सब कुछ नहीं मिल सकता जो वे चाहते हैं, इसलिए उन्हें उपलब्ध विकल्पों में से एक को चुनना होता है।अर्थशास्त्र को कभी-कभी पसंद का विज्ञान भी कहा जाता है – वह विज्ञान जो लोगों द्वारा चुने गए विकल्पों की व्याख्या करता है और भविष्यवाणी करता है कि परिस्थितियों में परिवर्तन उनकी पसंद को कैसे प्रभावित करते हैं।
अर्थशास्त्र का अर्थ
अर्थशास्त्र में, विभिन्न प्रकार के संसाधनों – प्राकृतिक संसाधन, मनुष्य संसाधन, और पूंजी संसाधन का उपयोग और व्यय कैसे होता है, इसका अध्ययन किया जाता है। इसमें वित्तीय, उत्पादक, और सामाजिक प्रक्रियाओं का अध्ययन शामिल होता है जो अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं। अर्थशास्त्र का मुख्य उद्देश्य होता है समाज की अर्थव्यवस्था को समझकर उसे सुधारना और विकसित करना। यह धन, उत्पादन, वित्त, निर्माण, वितरण, और उपभोक्ता संरचना के माध्यम से कैसे हो सकता है, इसका अध्ययन करता है।
अर्थशास्त्र के क्षेत्र में कई प्रमुख अध्ययन शामिल हैं, जैसे कि माइक्रो-अर्थशास्त्र, मैक्रो-अर्थशास्त्र, विकासशील अर्थशास्त्र, वित्तीय अर्थशास्त्र, और अन्य। इन सभी क्षेत्रों में, अर्थशास्त्रीय सिद्धांतों, मॉडल्स, और थियोरीज का अध्ययन किया जाता है ताकि समाज के लिए सर्वोत्तम नीतियों का निर्माण किया जा सके।
अर्थशास्त्र का महत्व यह है कि यह हमें समाज के आर्थिक प्रक्रियाओं, संरचनाओं, और नीतियों का अध्ययन करने की क्षमता प्रदान करता है। इसके माध्यम से, हम समाज को अधिक समृद्ध, उत्तम और समावेशी बनाने के लिए सक्षम होते हैं।
अर्थशास्त्र की परिभाषाएँ
अर्थशास्त्र ज्ञान की एक बढ़ती हुई शाखा है, समय-समय पर विभिन्न अर्थशास्त्रियों ने अर्थशास्त्र की विभिन्न परिभाषाएँ सामने रखी हैं:
- धन सम्बन्धी परिभाषा: सबसे पहले 1776 में परंपरावादी अर्थशास्त्री एडम स्मिथ जिन्हें अर्थशास्त्र के पिता कहा जाता है ने अपनी प्रसिद्धपुस्तक “an enquiry into the nature and causes of wealth of nations” में अर्थशास्त्र की परिभाषा दी है।अर्थशास्त्र राष्ट्रों के धन के स्वरूप और कारण की खोज है। एडम स्मिथ अर्थशास्त्र को एक ऐसा विज्ञान मानता है जो धन के उत्पादन याउपभोग का अध्ययन करता है,अथवा एडम स्मिथ ने अर्थशास्त्र को धन का विज्ञान माना है।
आलोचना
धन संबंधी परिभाषाओं से प्रेरित होकर मानव ने मानव का शोषण करना शुरू कर दिया, पूंजीपति अपने लाभ में वृद्धि करने के लिए श्रमिकों से अधिक काम लेने लगे। यह मनुष्य के कल्याण के बजाय धन को महत्व देता है। उस समय के समाज सुधारकों (Carlyle) कार्लाइल, (Ruskin) रस्किन या (Dickens ) डिकेंस आदि ने अर्थशास्त्र को घृणित विज्ञान (Dismal Science), दाल रोटी का विज्ञान (Science of Bread and Butter) और कुबेर का ग्रंथ (Gospel of Mammon) कह कर आलोकित किया है।
- भौतिक कल्याण सम्बन्धी परिभाषा:
नव परम्परावादी अर्थशास्त्री डॉ. मार्शल ने 1890 में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “Principles Of Economics” में अर्थशास्त्र की कल्याण सम्बन्धी परिभाषा दी है। “अर्थशास्त्र जीवन के साधरण व्यवसाय में मानव जाति का अध्ययन है। यह व्यक्तिगत व सामाजिक कार्यों के उस भाग की जांच करता है जो कल्याण के भौतिक साधनों की प्राप्ति एवम उनके उपयोग से घनिष्ट रूप से संबंधित है।”
आलोचना :- रॉबिन्स ने इस परिभाषा की आलोचना की क्योंकि (1) यह केवल सामाजिक प्राणियों का नहीं बल्कि सभी मनुष्यों का अध्ययन है। (2) यह भौतिक या अभौतिक सभी आर्थिक गतिविधियों का अध्ययन करता है।
- दुर्लभता संबंधी परिभाषा
सन 1932 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री रॉबिंस ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “an essay on the nature and significance of economic science” में दुर्लभता संबंधि परिभाषा दी गई है। लॉर्ड रॉबिन्स के अनुसार ,“अर्थशास्त्र एक ऐसा विज्ञान है जो विभिन्न उपयोगों वाले सीमित साधनों तथा उद्देश्यों से संबंध रखने वाले मानवीय व्यवहार का अध्ययन करता है।”
आलोचना – यह परिभाषा अव्यावहारिक एवं कठिन है। इसने अर्थशास्त्र को केवल मूल्य निर्धारण के सिद्धांत या विकल्प चुनने के विज्ञान तक सीमित कर दिया है। इसका मनुष्य के कल्याण से कोई लेना-देना नहीं है।
- विकास सम्बन्धी परिभाषा
आधुनिक अर्थशास्त्री सैमुएलसन एंव पीटरसन के अनुसार “अर्थशास्त्र एक विज्ञान है जो मनुष्य की उन गतिविधियों का अध्ययन करता है जो वह अपने दुर्लभ साधनों का उचित उपयोग करके अपनी संतुष्टि को अधिकतम करने के लिए करता है”।
निष्कर्ष
एडम स्मिथ की परिभाषा धन से संबंधी है जो अधूरी और अवैज्ञानिक है, मार्शल की परिभाषा कल्याण, रॉबिन्स की परिभाषा दुर्लभता और सैमुएलसन की अर्थिक विकास से संबंधीत है। निष्कर्ष में हम कह सकते हैं कि अर्थशास्त्र वह शास्त्र है जिसमें आवश्यकताओं की अधिकतम संतुष्टि करने या कल्याण बढ़ाने तथा आर्थिक विकास के लिए अनेक उपयोगों वाले सीमित साधनों के अधिकतम एंव कुशलतम प्रयोग से संबंधी कार्यों का अध्ययन किया जाता है।
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