What are the Values of Teaching Social Science

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परिचय

प्रत्येक समाज जहां एक और अपने बच्चों को शिक्षा द्वारा कुछ विशेष प्रकार का ज्ञान तथा कौशल प्रदान करने का प्रयत्न करता है, वहां उसके साथ-साथ वह उनमें कुछ गुणों का विकास करने का भी प्रयत्न करता है जो उनको अच्छा नागरिक बनाने में सहायता करें।

साधारण शब्दों में इस प्रकार की शिक्षा को ही ‘मूल्य शिक्षा’ कहा जाता है। प्राचीन काल में जब सार्वजनिक शिक्षा अस्तित्व में नहीं थी तो इस प्रकार की शिक्षा केवल धार्मिक संस्थाओं में ही प्रदान की जाती थी। इस प्रकार की शिक्षा के केंद्र प्राय: धार्मिक स्थल ही हुआ करते थे। उस समय इस प्रकार की शिक्षा के कुछ लाभ थे तो कुछ हानियां भी थी। परंतु अब शिक्षा ने औपचारिक व वैज्ञानिक स्वरूप धारण कर लिया है। इस कारण से बच्चों को मूल्य की शिक्षा देने की जिम्मेदारी ‘सामाजिक विज्ञान’ विषय पर आ पड़ी है।

मूल्यों का अर्थ

साधारण शब्दों में जो अच्छा है, वह मूल्य है। कहने का मतलब यह है कि हम किस प्रकार का आचरण करें, इसके लिए हमारे संकल्प के कई विकल्प हो सकते हैं और उसे व्यवहार के मार्गदर्शन के रूप में स्वीकार कर लेते हैं, तो वह मूल्य कहलाता है।

मूल्यों की परिभाषा

मूल्य के अर्थ को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है –

  1. प्रोफेसर काहन के अनुसार – “वास्तव में मूल्य वे मार्गदर्शक सिद्धांत है, जो मनुष्य के व्यवहार व क्रियाओं को प्रभावित करते हैं।”
  2. डबल्यू एम रायबर्न के अनुसार – “मूल्य वह है जो मानव की इच्छा की संतुष्टि करता है।”

मूल्यों की उपरोक्त परिभाषाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि मूल्य विचारों, आदर्शों, आकांक्षाओं तथा विश्वासों का सम्मिलित रूप है। इनका चुनाव समाज द्वारा उनकी उपयोगिता के आधार पर किया जाता है। जिनका उद्देश्य समाज का मार्गदर्शन करना है।

मूल्यों के प्रकार

मूल्य कई प्रकार के होते हैं, जिन्हें सामाजिक, नैतिक, सांस्कृतिक तथा धर्मनिरपेक्षता के आधार पर कई रूपों में बांटा जा सकता है। इस आधार पर मूल्य की निम्न सूची बनाई जा सकती है।

1.सत्य                                                 18.  न्याय

2. करुणा                                            19.  नेतृत्व

3. स्वच्छता                                          20.  राष्ट्रीय एकता

 4. शिष्टाचार                                        21.  नियमितता

 5. अनुशासन                                      22.  कुशलता   

 6. अहिंसा                                           23.  आत्मविश्वास

 7. सहयोग                                           24.  आत्मसम्मान

8. साहस                                              25.  समाज सेवा की भावना    

9. कर्तव्यपरायणता                               26.  सहनशीलता

10. नागरिकता                                      27.  बंधुता

11. व्यक्ति की गरिमा                             28.  आज्ञाकारिता

12. समानता                                         29.  आभार 

13. मित्रता                                            30.  अच्छा व्यवहार

14. स्वतंत्रता                                         31.   मानवता

15. भद्रता                                             32.  निष्ठा

16. ईमानदारी                                       33.  दयालुता।

17. पहल कदमी

मूल्य के उपरोक्त प्रकारों को देखकर कहा जा सकता है कि जो अच्छा है वह मूल्य है। गिनती की दृष्टि से मूल्य की कोई सीमा नहीं है।

मूल्यों के स्रोत

मूल्य के स्रोतों को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है –

  1. संस्कृति तथा सामाजिक रीति-रिवाज 

प्राचीन योग की तरह आज भी मूल्य के स्रोत में संस्कृति तथा सामाजिक रीति-रिवाजों का काफी महत्व है। सत्य, अहिंसा, परोपकार व विश्व-बंधुत्व जैसे मूल्य हमें संस्कृति से ही प्राप्त होते हैं। अतिथि सत्कार, आचार-विचार, खान-पान, संयुक्त परिवार प्रणाली, विवाह-प्रणाली, भाषा, संगीत, नृत्य व चित्रकला जैसे हमारे मूल्यों के विकास में सामाजिक रीति-रिवाजों का विशेष महत्व है

     2.  धर्म 

धर्म नैतिक सिद्धांतों तथा मूल्यों का सबसे बड़ा स्रोत है। प्रेम, सहयोग, सहानुभूति, दया, करुणा, परोपकार, त्याग व समाज सेवा जैसे मूल्यों के विकास में धर्म का विशेष महत्व है। धर्म वह है जो मनुष्य को पतन की ओर जाने से रोके और नैतिक मार्ग का अनुसरण करने के लिए प्रेरित करें।

     3. दर्शन

शिक्षा संबंधी दर्शनों में शिक्षा के मूल्य पर प्रकाश डाला गया है। सभी दार्शनिक विचारधाराए अपने-अपने दृष्टिकोण या मताअनुसार मूल्यों का प्रतिपादन करती हैं और उनके अनुसार आचरण पर बल देती है। सत्यम शिवम एवं सुंदरम जैसे आध्यात्मिक मूल्यों को दर्शन आत्मसात् करता है, इस प्रकार दर्शन मूल्यों का आवश्यक स्रोत है।

      4. साहित्य

साहित्य का सीधा संबंध मानव व समाज से है। साहित्य समाज का दर्पण है। अतः कोई समाज किन सिद्धांतों पर विश्वास करता है, वही उसका साहित्य कहलाता है। साहित्य सामाजिक मूल्यों का सबसे बड़ा स्रोत है।

      5. विज्ञान

आज का युग तकनीक व विज्ञान का युग है, जिसने मानव जीवन को बहुत ज्यादा प्रभावित किया है। विज्ञान के कारण ही विश्व-बंधुता की भावना का विकास हुआ है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण ने अंधविश्वास व सामाजिक आडंबरों पर कड़ा प्रहार किया है।

     6. राजनीतिक व्यवस्था

प्रत्येक राष्ट्र की अपनी राजनीतिक व्यवस्था होती है तथा उसी के अनुसार उस देश के मूल्यों को निर्धारित किया जाता है। स्वतंत्रता, समानता, न्याय, भ्रातृत्व व प्रजातांत्रिक भावना उसी राजनीतिक व्यवस्था से निर्मित व  विकसित हुए मूल्य हैं। भारत में प्रजातांत्रिक मूल्यों के विकास पर विशेष बल दिया जाता है।

निष्कर्ष

उपरोक्त अध्ययन के आधार पर कहा जा सकता है कि मूल्यों को व्यक्ति की उपलब्धियां में उच्चतम शिखर पर रखा जाता है। यह व्यक्ति के चरित्र को अर्थ तथा शक्ति प्रदान करते हैं। आदर्श व सकारात्मक मानवीय संबंधों की स्थापना में इनका विशेष योगदान होता है

हमने what are the values of teaching social science के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान  करने की कोशिश की है, उम्मीद करते हैं आपको अवश्य ही पसंद आयी होगी।

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  1. भारतीय नागरिकों के मूल कर्तव्य

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