assumption of law of demand

मांग के नियम की मान्यताओं के आधार पर, हम बाजार के रुझानों का पूर्वानुमान लगा सकते हैं और आर्थिक नीतियों का निर्माण कर सकते हैं। assumption of law of demand के लिए यहां से पढें।

परिचय (Introduction)

माँग का नियम (Law of Demand) आर्थिक सिद्धांत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो यह बताता है कि किसी वस्तु की कीमत और उसकी माँग के बीच उल्टा संबंध होता है। अर्थात्, जब किसी वस्तु की कीमत बढ़ती है तो उसकी माँग घटती है और जब कीमत घटती है तो माँग बढ़ती है। इस नियम के पीछे कई मान्यताएं होती हैं, जिनके आधार पर यह सिद्धांत काम करता है। आइए, इन मान्यताओं को विस्तार से समझते हैं।

मांग का नियम तभी लागू होता है, “जब अन्य बातें समान हों” (Other things remaining the same)। इससे अभिप्राय यह है कि मांग को प्रभावित करने वाले, कीमत के अतिरिक्त अन्य तत्वों को स्थिर मान लिया जाता है। इन्हें इस नियम की मान्यताएं कहा जाता है। इन मान्यताओं को निम्नलिखित मांग फलन (Demand Function) से स्पष्ट किया जा सकता है :-

D = f (P x , P r , Y , T , E )

यहां D x = वस्तु की मांग; P = X वस्तु की कीमत; P = अन्य संबंधित वस्तुओं की कीमत; Y = उपभोक्ता की आय; T = रुचिया;

E = उपभोक्ता की संभावनाएं।

मांग के नियम की मान्यताएं (Assumptions)

मांग के नियम की मान्यताएं कीमत (P x) के अतिरिक्त मांग फलन के अन्य सभी निर्धारक तत्व है। अन्य शब्दों में, मांग के नियम के निम्नलिखित मान्यताएं हैं जिनका नीचे विस्तार से वर्णन किया गया है-

  1. संबंधित वस्तुओं की कीमत में परिवर्तन नहीं होना चाहिए ।
  2. उपभोक्ता की आय में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
  3. उपभोक्ता की रुचियां तथा पसंदों (Preferences) में परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
  4. उपभोक्ता द्वारा निकट भविष्य में वस्तु की कीमत में और अधिक परिवर्तन की संभावना नहीं होनी चाहिए।
  5. जनसंख्या के आकार, आयु संरचना तथा लिंग अनुपात में कोई परिवर्तन नहीं होता।
  6. उपभोक्ता को उपलब्ध वस्तुओं की रेंज में कोई परिवर्तन नहीं होता।
  7. समाज में आय तथा संपत्ति के वितरण में कोई परिवर्तन नहीं होता।
  8. सरकारी नीति, जैसे कर नीति, में कोई परिवर्तन नहीं होता।
  9. मौसम में कोई परिवर्तन नहीं होता।

 

    1. संबंधित वस्तुओं की कीमत में परिवर्तन नहीं होना चाहिए  

मांग के नियम के तहत एक महत्वपूर्ण मान्यता यह है कि संबंधित वस्तुओं की कीमत में परिवर्तन नहीं होना चाहिए। इसका मतलब यह है कि जब हम किसी एक वस्तु की माँग और उसकी कीमत के बीच संबंध की बात करते हैं, तो हम मानते हैं कि उस वस्तु से संबंधित अन्य वस्तुओं की कीमतें स्थिर रहेंगी।                     

उदाहरण के लिए, यदि हम चाय की मांग पर विचार कर रहे हैं, तो हम यह मानते हैं कि कॉफी या चीनी जैसी संबंधित वस्तुओं की कीमतों में कोई परिवर्तन नहीं हो रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन वस्तुओं की कीमतों में बदलाव का चाय की माँग पर सीधा प्रभाव पड़ सकता है। यदि कॉफी की कीमत अचानक घट जाती है, तो लोग चाय की जगह कॉफी खरीदना शुरू कर सकते हैं, जिससे चाय की माँग प्रभावित होगी।

2. उपभोक्ता की आय में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए 

मांग के नियम की यह मान्यता (assumption of law of demand) होती है कि उपभोक्ता की आय में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए। इसका मतलब यह है कि जब हम किसी वस्तु की मांग और उसकी कीमत के बीच संबंध का अध्ययन करते हैं, तो हम यह मानते हैं कि उपभोक्ता की आय स्थिर है। यदि आय में कोई बदलाव होता है, तो माँग पर उसका सीधा प्रभाव पड़ सकता है और मांग का नियम लागू नहीं होगा।

उदाहरण के लिए, यदि किसी उपभोक्ता की आय बढ़ जाती है, तो वह अधिक वस्तुएं खरीदने में सक्षम हो जाता है, चाहे वस्तुओं की कीमत में कोई बदलाव न हुआ हो। इसी प्रकार, आय घटने पर उसकी क्रय शक्ति कम हो जाती है और वह कम वस्तुएं खरीदता है। 

3. उपभोक्ता की रुचियां तथा पसंदों (Preferences) में परिवर्तन नहीं होना चाहिए 

इस मान्यता का उद्देश्य यह है कि मांग और कीमत के बीच के संबंध को समझने में आसानी हो। यदि उपभोक्ताओं की रुचियाँ और पसंदें बदल जाएं, तो यह मांग पर भी प्रभाव डाल सकता है, जिससे मांग के नियम का सही ढंग से पालन नहीं हो पाएगा। उदाहरण के लिए, अगर उपभोक्ताओं की स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ जाए और वे शक्कर वाली चीजों की बजाए स्वस्थ खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता देने लगें, तो शक्कर की मांग कीमत कम होने पर भी नहीं बढ़ेगी।

4. उपभोक्ता द्वारा निकट भविष्य में वस्तु की कीमत में और अधिक परिवर्तन की संभावना नहीं होनी चाहिए

मांग के नियम के तहत एक महत्वपूर्ण मान्यता यह है कि उपभोक्ता द्वारा निकट भविष्य में वस्तु की कीमत में और अधिक परिवर्तन की संभावना नहीं होनी चाहिए। इसका मतलब यह है कि उपभोक्ताओं को यह विश्वास होना चाहिए कि वर्तमान कीमतें स्थिर रहेंगी।

उदाहरण के लिए, यदि उपभोक्ताओं को यह लगता है कि भविष्य में कीमतें बढ़ेंगी, तो वे वर्तमान में अधिक मात्रा में खरीदारी कर सकते हैं, जिससे वर्तमान माँग बढ़ सकती है। इसी प्रकार, यदि उन्हें लगता है कि कीमतें घटेंगी, तो वे अपनी खरीद को स्थगित कर सकते हैं, जिससे वर्तमान मांग में कमी आ सकती है। इस प्रकार, स्थिर मूल्य की अपेक्षाएं मांग के नियम के सही कार्यान्वयन के लिए आवश्यक होती हैं।

 5. जनसंख्या के आकार, आयु संरचना तथा लिंग अनुपात में कोई परिवर्तन नहीं होता

मांग के नियम के तहत यह मान लिया जाता है कि जनसंख्या के आकार, आयु संरचना, और लिंग अनुपात में कोई परिवर्तन नहीं होता। इसका मतलब है कि इन जनसांख्यिकीय कारकों को स्थिर मानते हुए केवल वस्तु की कीमत और उसकी मांग के बीच के संबंध का अध्ययन किया जाता है।

उदाहरण के लिए, यदि जनसंख्या का आकार बढ़ता है, तो स्वाभाविक रूप से वस्तुओं की कुल मांग बढ़ सकती है, और इसी प्रकार आयु संरचना और लिंग अनुपात में बदलाव से भी मांग पर प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, मांग के नियम की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए यह मान लिया जाता है कि ये सभी कारक स्थिर हैं, ताकि कीमत और मांग के बीच के सीधे संबंध का सही आकलन किया जा सके।

6. उपभोक्ता को उपलब्ध वस्तुओं की रेंज में कोई परिवर्तन नहीं होता

मांग के नियम के तहत एक महत्वपूर्ण मान्यता यह है कि उपभोक्ता को उपलब्ध वस्तुओं की रेंज में कोई परिवर्तन नहीं होता। इसका मतलब है कि जब हम किसी वस्तु की कीमत और उसकी मांग के बीच के संबंध का अध्ययन करते हैं, तो यह माना जाता है कि बाजार में उपलब्ध वस्तुओं की संख्या और प्रकार स्थिर रहते हैं। यदि किसी नए विकल्प की वस्तु को बाजार में पेश किया जाता है या मौजूदा विकल्पों में से किसी को हटा दिया जाता है, तो यह उपभोक्ताओं की पसंद को प्रभावित कर सकता है और मांग के नियम के सामान्य परिणामों को बदल सकता है।

उदाहरण के लिए, अगर अचानक बाजार में एक नई, सस्ती और प्रभावी विकल्प वस्तु आती है, तो उपभोक्ताओं की प्राथमिकताएं बदल सकती हैं, जिससे माँग की पारंपरिक धारणाओं पर असर पड़ सकता है।

7. समाज में आय तथा संपत्ति के वितरण में कोई परिवर्तन नहीं होता

समाज में आय और संपत्ति के वितरण में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए यह लागू मांग के नियम की मान्यताओं में से एक है। यदि किसी समुदाय की आय बढ़ जाती है, तो उसकी वितरण क्षमता बढ़ती है, जिससे वह अधिक वस्तुओं को खरीदने की सक्षमता बढ़ा सकता है। इसी तरह, संपत्ति के वितरण में सुधार के परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं की वितरण क्षमता में वृद्धि होती है, जो लागू मांग के नियम के अनुसार उनकी मांग को बढ़ा सकती है।

8. सरकारी नीति, जैसे कर नीति, में कोई परिवर्तन नहीं होता

जब एक वस्तु की कीमतें बदलती हैं, तो उसके प्रति आम लोगों की मांग भी बदलती है। सरकार कर नीति बनाते समय इस तत्व को ध्यान में रखती है कि उसकी नई नीतियों से वस्तुओं की कीमतें कैसे प्रभावित होंगी और उनकी मांग कैसे परिवर्तित होगी। इसके माध्यम से, सरकार अपनी नीतियों को ऐसे बनाती है कि उनसे व्यापारिक गतिविधियों और उपभोक्ताओं पर अनुकूल प्रभाव पड़े और अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में सहायक हो।

9. मौसम में कोई परिवर्तन नहीं होता

मांग के नियम के सन्दर्भ में, जब मौसम में कोई परिवर्तन नहीं होता है, तो उपभोक्ताओं की पसंद और आवश्यकताओं में कोई बदलाव नहीं होता है। उदाहरण के लिए, गर्मी में शर्बतों की मांग बढ़ सकती है क्योंकि उपभोक्ता ठंडी चीजें पसंद करते हैं। इसी प्रकार, सर्दियों में गर्म कपड़ों की मांग बढ़ सकती है। लेकिन यदि मौसम में कोई परिवर्तन नहीं होता, तो वस्तुओं की मांग पर भी कोई प्रत्याशित परिणाम नहीं पड़ता, क्योंकि उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं और पसंदों में कोई परिवर्तन नहीं होता।

निष्कर्ष

 मांग का नियम अर्थशास्त्र में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जो बाजार की गतिशीलता को समझने में मदद करता है। इसकी मान्यताएँ हमें यह समझने में मदद करती हैं कि कैसे विभिन्न कारक मांग को प्रभावित करते हैं और उपभोक्ताओं के खरीद निर्णयों को प्रभावित करते हैं। इन मान्यताओं के आधार पर, हम बाजार के रुझानों का पूर्वानुमान लगा सकते हैं और आर्थिक नीतियों का निर्माण कर सकते हैं।

हमने assumption of law of demand के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान  करने की कोशिश की है, उम्मीद करते हैं आपको अवश्य ही पसंद आयी होगी।

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