Elasticity of Demand

परिचय (Inroduction)

मांग की लोच (Elasticity of Demand) एक आर्थिक अवधारणा है जो यह मापती है कि किसी वस्तु की कीमत, उपभोक्ता की आय, या अन्य कारकों में बदलाव होने पर उस वस्तु की मांग में कितना परिवर्तन होता है। यह अवधारणा बताती है कि उपभोक्ता किसी वस्तु की कीमत में बदलाव पर किस प्रकार प्रतिक्रिया देंगे। इसे सरल भाषा में समझने के लिए, अगर किसी वस्तु का मूल्य बढ़ता या घटता है, तो उसकी मांग में कितना बदलाव आता है, इसे ही मांग की लोच कहते हैं।

मांग की लोच आर्थिक विश्लेषण का एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो विभिन्न स्तरों पर निर्णय लेने में सहायता करता है। यह न केवल मूल्य निर्धारण और विपणन रणनीतियों को प्रभावित करता है, बल्कि सरकारी नीतियों और कराधान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मांग की लोच को समझकर, विभिन्न हितधारक अपने-अपने उद्देश्यों को अधिक प्रभावी ढंग से प्राप्त कर सकते हैं।

मांग की लोच के प्रकार

मांग की लोच को निम्नलिखित प्रकार से विभाजित किया जा सकता है:

  1. मांग की कीमत लोच 
  2. मांग की आय लोच 
  3. मांग की आड़ी लोच 

1. मांग की कीमत लोच (Price Elasticity of Demand)

यह दर्शाती है कि किसी वस्तु या सेवा की कीमत में परिवर्तन होने पर उसकी मांग में कितना बदलाव होता है। सरल भाषा में कहें तो, अगर किसी वस्तु की कीमत बढ़ती या घटती है, तो लोग उस वस्तु को खरीदने में कितना बदलाव करेंगे, यह मापा जाता है।

इसे निम्नलिखित प्रकार से मापा जाता है:

                                                     % मांग में परिवर्तन

  मांग की मूल्य लोच  =     ——————–

                                                  % कीमत में परिवर्तन

मांग को मांग की कीमत लोच के आधार पर निम्नलिखित प्रकार से विभाजित किया जा सकता है:

(i) लोचदार मांग (Elastic Demand)

अगर मूल्य में थोड़ा सा परिवर्तन होने पर भी मांग में बड़ा परिवर्तन आता है, तो उसे लोचदार मांग कहते हैं। उदाहरण के लिए, लक्जरी आइटम्स या गैर-आवश्यक वस्तुएं, जिनकी कीमत बढ़ने पर लोग उन्हें खरीदना कम कर देते हैं और कीमत घटने पर ज्यादा खरीदते हैं।

(ii) अलोचदार मांग (Inelastic Demand)

अगर मूल्य में बड़े परिवर्तन होने पर भी मांग में थोड़ा ही परिवर्तन होता है, तो उसे अलोचदार मांग कहते हैं। उदाहरण के लिए, आवश्यक वस्तुएं जैसे दवाइयाँ और कुछ खाद्य पदार्थ, क्योंकि इनके बिना जीवन यापन मुश्किल है, इसलिए कीमत बढ़ने पर भी लोग इन्हें खरीदते रहते हैं।

2. मांग की आय लोच

आय लोच एक आर्थिक अवधारणा है जो यह मापती है कि उपभोक्ताओं की आय में परिवर्तन होने पर किसी वस्तु या सेवा की मांग में कितना परिवर्तन आता है। इसे निम्नलिखित सूत्र से मापा जाता है:-

                                                  % आय में परिवर्तन                  

मांग की आय लोच  =     ——————–

                                      % मांग में परिवर्तन

मांग को मांग की आय लोच के आधार पर निम्नलिखित प्रकार से विभाजित किया जा सकता है :-​

(i) मांग की सकारात्मक आय लोच

अगर किसी वस्तु की आय लोचिता का मान सकारात्मक है, तो यह दर्शाता है कि आय बढ़ने पर उस वस्तु की मांग भी बढ़ती है। सामान्यतः, लक्जरी आइटम्स जैसे उच्च मूल्य वाले इलेक्ट्रॉनिक सामान, महंगी कारें आदि की आय लोचिता सकारात्मक होती है।

(ii) मांग की नकारात्मक आय लोच

अगर किसी वस्तु की आय लोचिता का मान नकारात्मक है, तो इसका मतलब है कि आय बढ़ने पर उस वस्तु की मांग घटती है। आमतौर पर, निम्न गुणवत्ता वाले उत्पाद या आवश्यक वस्तुएं, जिनकी मांग आय बढ़ने पर घट जाती है, जैसे सस्ती खाने-पीने की चीजें, इस श्रेणी में आती हैं।

(iii) मांग की शून्य आय लोच

मांग की शून्य आय लोच का मतलब है कि आय में बदलाव होने पर भी उस वस्तु की मांग में कोई परिवर्तन नहीं होता।

3. मांग की आड़ी लोच (Cross Elasticity of Demand)

मांग की आड़ी लोच एक महत्वपूर्ण आर्थिक अवधारणा है जो दो वस्तुओं के बीच मांग के संबंध को मापती है। यह दर्शाती है कि एक वस्तु की कीमत में बदलाव होने पर दूसरी वस्तु की मांग में कितना परिवर्तन होता है। मांग की आड़ी लोच को मापने के लिए निम्नलिखित सूत्र का प्रयोग किया जाता है :-

                                                 % पहली वस्तु की कीमत में परिवर्तन

मांग की आड़ी लोच  =  ———————————–

                                              % दूसरी वस्तु की मांग में परिवर्तन

मांग की आड़ी लोच के आधार पर मांग को निम्नलिखित प्रकार से बांटा जा सकता है :

(i) मांग की सकारात्मक आड़ी लोच

यदि दो वस्तुएं एक-दूसरे की प्रतिस्थापक (substitute goods) हैं, जैसे कि चाय और कॉफी, तो पहली वस्तु की कीमत बढ़ने पर दूसरी वस्तु की मांग बढ़ जाएगी। इस स्थिति में, क्रॉस लोचिता का मान सकारात्मक होता है।

(ii) मांग की नकारात्मक आड़ी लोच

 यदि दो वस्तुएं एक-दूसरे की पूरक (complementary goods) हैं, जैसे कि कार और पेट्रोल, तो पहली वस्तु की कीमत बढ़ने पर दूसरी वस्तु की मांग घट जाएगी। इस स्थिति में, क्रॉस लोचिता का मान नकारात्मक होता है।

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      2. Assumption-of-Law-of-Demand
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