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CHAPTER – 1
प्रारंभिक मानव अवस्थाएं
आज का मानव जिंस विकसित अवस्था में है ये विकसित मानव की यह अवस्था अचानक नहीं हुई। उसे होमीनिड अथवा वानर से आधुनिक मानव की अवस्था तक पहुंचने में लाखों वर्ष लगे है। उसमें यह परिवर्तन बहुत धीरे धीरे हुआ है इस बीच कई मानव प्रजातियां उत्पन्न हुई और विलुप्त हो गयी। मानव की इन प्रारंभिक प्रजातियों के प्रमाण आज हमें जीवाश्मों के रूप में मिलते हैं।
आधुनिक मानव प्रजाति को वैज्ञानिक भाषा में होमोसेपियंस कहा जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ – सोचने वाला अथवा बुद्धिमान मानव। आज का मानव आधुनिक मानव प्रजाति से संबंधित बताया जाता है। इसकी मस्तिष्क क्षमता 450 घन सेंटीमीटर थी। इस का माथा चौड़ा और चेहरा लंबा था इसकी आखों पर उभरी हुई हड्डी नहीं थी। उसकी उत्पत्ति सबसे पहले अफ्रीका में हुई। ऐसा माना जाता है कि बाद में यह एशिया, ऑस्ट्रेलिया व अन्य महाद्वीपों में पहुँच गया। कुछ विद्वानों ने इस उत्पत्ति सिद्धांत पर असहमति भी रखी है।
1.ऑस्ट्रेलोपिथिकस
- इस जीवाश्म के दक्षिणी गोलार्द्ध से प्राप्त होने के कारण ही इसे ऑस्ट्रोलापेथिकस कहा गया है।
- ये बिना पूछ वाला अन्यों से विकसित प्रजाति का चिंपैंजी था।
- इसका सबसे पहले जीवांशम रेमंड डार्ट को सन 1924 में दक्षिण अफ्रीका के टौंग नामक स्थान पर स्थित चुने की एक खान में मिला था।
- ऑस्ट्रैलोपिथीकस का शाब्दिक अर्थ दक्षिणी मानव सम प्राणी हैं।
- यह लघु मस्तिष्क वाला प्राणी था उसके मस्तिष्क क्षमता 450 घन सेंटीमीटर से 500 घन सेंटीमीटर थी।
- इस प्रजाति की शारीरिक रचना पेड़ों पर चढ़ने उतरने के अधिक अनुकूल थी पर जमीन पर पिछले दोनों पांवों पर भी चल सकती थी।
- हाथों और उंगलियों में अधिक कुशलता नहीं थी लेकिन यह किसी पत्थर के टुकड़े के किसी जानवर पर फेंक सकता था।
- इस समय का मानव औजार बनाने में सक्षम नहीं था।
- इस प्रजाति का जबड़ा भारी, दांत बड़े, खोपड़ी का आकार छोटा था।
2.होमोहेबिलिस
- होमो का अर्थ लैटिन भाषा में मानव होता है और हेबिलिस का अर्थ औजार है।
- होमो हैबिलिस का शाब्दिक अर्थ है औजार बनाने वाला प्राणी।
- ये पहली औजार बनाने वाली प्रजाति थी।
- औजार बनाने की विशेषता केवल मानव मात्र की थी इसलिए इसे ही प्रथम मानव प्रजाति स्वीकारा जाता है।
- इस समय का मानव एक पत्थर पर दूसरे पत्थर से चोटें मारकर अंधड़ से औजार बना सकता था।
- इसकी मस्तिष्क क्षमता 700 घन सेंटीमीटर के आसपास थी।
- ऐसी ही औजार इथियोपिया के ओमो व तंजानिया के ओल्डूवाई गोर्ज से मिली है, इसलिए इन औज़ारों को ओल्डोवान औजार कहा जाता है।
3. होमोइरेक्टस
- होमो इरेक्टस मानव सीधा खड़ा हो सकने वाला मानव था।
- यह अलग अलग भौगोलिक वातावरण में जीवित रहने की क्षमता रखता था।
- इसके अवशेष अफ्रीका महाद्वीप से बाहर एशिया में चीन और जावा इत्यादि स्थानों से भी मिले हैं।
- चीन में इसके अवशेष पीकिंग से मिले इसलिए इसे पीकिंग मैन के नाम से भी जाना जाता है ।
- इसकी मस्तिष्क क्षमता लगभग 1000 घन सेंटीमीटर थी।
- इसका माथा ढलवाँ, खोपड़ी अधिक गोलाकार, आंखो की ऊपर उभरी हुई हड्डी अधिक सुदृढ़ थी।
- यह मानव पत्थर के गंडासे कुल्हाड़ी और विदारणी इत्यादि के औजार बना सकता था।
- इस समय का मानव यूरोप महाद्वीप में भी पहुँच गया था।
- मानव विज्ञानी मानते है की यह प्रजाति लगभग 10,00,000 वर्ष तक अस्तित्व में रही और फिर विलुप्त हो गयी।
4.होमो हाइडल बर्गेसिस र्और नियंडर थालैंसिस
- हाइडल बर्गेसिस मानव के जीवाश्म लगभग 8,00,000 से 1,00,000 वर्ष पहले सर्वप्रथम जर्मनी की शहर हिडलबर्ग से मिले ,जबकि नियंडरथाल मानव के जीवाश्म नियंडर घाटी से मिले हैं।
- यह यूरोप में पाई जाने वाली प्रारंभिक मानव प्रजातियां थी। इनका नामकरण भी उन्हीं स्थानों से हुआ जहाँ सबसे पहले इनके अवशेष मिले हैं।
- इन दोनों मानव की मस्तिष्क क्षमता आधुनिक मानव के बराबर 1450 घन से.मी. थी।
- इन दोनों मानव प्रजातियों की सोचने-विचारने की क्षमता आधुनिक मानव की तरह थी।
- नियंडरथाल मानव की आंखों की ऊपर वाली हड्डी आधुनिक मानव से तुलना में अधिक उभरी हुई थी।
- इसका चेहरा चौड़ा, सिरबड़ा, गर्दन छोटी थी।
- मृत्को का आदर सम्मान करता था और उन्हें कब्र में दफनाता था और उनके साथ कई तरह की सामग्री भी रखता था।
इन दोनों मानव प्रजातियों को होमो सेपिय़ंस से संबंधित बताया गया है।
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