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नये राजा और उनके राज्य

CHAPTER – 2

अभ्यास के प्रश्न  

  1. जोड़े बनाओ-

(1) गुर्जर-प्रतिहार            (क) पश्चिमी दक्कन

(2) राष्ट्रकूट                   (ख) बंगाल

(3) पाल                         (ग) गुजरात और राजस्थान

(4) चोल                        (घ) तमिलनाडु

उत्तर– (1)-(ग),  (2)-(क),  (3)- (ख),   (4)-(घ)

  1. त्रिपक्षीय संघर्ष में लगे तीनों पक्ष कौन से थे ?

उत्तरमध्यकाल में तीन शक्तियां गुर्जर-प्रतिहार, राष्ट्रकूट और पाल के मध्य त्रिपक्षीय संघर्ष शुरू हुआ, जिसने काफी समय तक गंगा घाटी के क्षेत्र में अराजकता बनाए रखी। इस संघर्ष के निम्नलिखित कारण थे-

  1. वे एक दूसरे के क्षेत्र को अपने अधीन करना चाहते थ।
  2. राज्य का प्रशासन और वित्तीय व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिये इन्हें धन की आवश्यकता थी।
  3. इस क्षेत्र के कोई शक्तिशाली साम्राज्य न होने के कारण इन पर नियंत्रण रखने वाले शक्ति का अभाव था।
  4. युद्धों में विजय प्राप्त करके इन राज्यों के राजा अपने आप को प्रजा में प्रिय बनाना चाहते थे ।
  5. सबसे महत्वपूर्ण कारण गंगा घाटी में कन्नौज नगर पर प्रभाव स्थापित करने की इच्छा थी।पटना के बाद यह नगर उत्तर की राजनीति का केंद्रबिंदु था। इसलिए तीनों ही शक्तियां इस पर नियंत्रण करना चाहती थी।

3.  चोल साम्राज्य में सभा की किसी समिति का सदस्य बनने के लिए आवश्यक शर्तें क्या थे ?

उत्तर- प्रत्येक ब्रह्मदेय की देखरेख प्रमुख ब्राह्मण भू-स्वामियों की एक सभा द्वारा की जाती थी। यह सभा विशेष लोगों की होती थी। सभा में विभिन्न समितियां होती थी, जिनका सदस्य बनने के लिए निम्नलिखित योग्यताओं की आवश्यकता थी-

  1. सभाकी सदस्यता के लिए इच्छुक लोगों को ऐसी भूमिका स्वामी होना चाहिए जिससे राजस्व प्राप्त होता हो ।
  2. उसके पास अपना घर होना चाहिए ।
  3. उसकी आयु 35 से 70 होनी चाहिए।
  4. उन्हें वेदों का ज्ञान होना चाहिए ।
  5. कोई लगातार समिति का सदस्य नहीं बन सकता है ।
  6. उसके सगे रिश्तेदारों पर कोई कर्ज नहीं होना चाहिए।
  7. उसके व्यवहार और कार्य में ईमानदारी होनी चाहिए।
  8. चुनाव लड़ने के लिए आवश्यक है कि वह किसी का देनदार न हो ।

4.चाहमानों के नियंत्रण में आने वाले दो प्रमुख नगर कौन से थे ?

उत्तर- सदैव युद्ध में उलझे रहने वाले राजाओं में चाहमान राजा भी शामिल थे। उनको चौहान भी कहा जाता था और पृथ्वीराज तृतीय इनका सबसे महान शासक था, जिसने इस राज्य के विस्तार के लिए काफी प्रयास किया था। 1192 ईस्वी में वह गौरी के साथ तपाईन के युद्ध में लड़ते हुए मारा गया। चाहमानो ने अपने शासनकाल के दौरान दो प्रमुख नगरों को अपने अधीन रखा, वे इस प्रकार है-

  1. ‘दिल्ली’ जो उस समय की महत्वपूर्ण राजनीतिक इकाई थी, काफी समय तक चाहमानों के नियंत्रण में रही ।
  2. ‘अजमेर नगर’ चाहमानों के शासन की कार्यो की राजधानी थी। इस पर भी इसका नियंत्रण काफी समय तक रहा।

5 .राष्ट्रकूट कैसे शक्तिशाली बने ?

उत्तर – राष्ट्रकूट का उदय दक्षिण भारत में हुआ था। इन के उद्देश्य से लेकर उनके शक्तिशाली बनने तक निम्नलिखित चरण आए, जो इस प्रकार है-

  1. आरंभ में वे कर्नाटक के चालुक्यों की अधीन थे ।
  2. आठ वीं सदी में राष्ट्रकूट प्रधान दन्तिदुर्ग ने अपने स्वतंत्रता घोषित कर दी ।
  3. दन्तिदुर्ग ने अपने स्वामी चालुक्य नरेश को युद्ध के मैदान में हराया तथा इस अवसर पर हिरण्यगर्भ नामक अनुष्ठान भी करवाया ।
  4. इस प्रकार उपरोक्त चरणों से होते हुए एक अधीनस्थ राष्ट्रकूट वंश अपनी योग्यता से एक राज्य के रूप में स्थापित हो गया था।

6.नए राजवंशों ने स्वीकृति हासिल करने के लिए क्या किया ?

उत्तर- जब भी कोई नया राजवंश सत्ता हासिल कर लेता था तो उसे जनता की स्वीकृति प्राप्त करना नैतिक कृतव्य माना जाता था । इसके लिए इन राजवंशोंके राजा निम्नलिखित कदम उठाते थे-

  1. यज्ञ व अनुष्ठान करके अपने आप को क्षत्रिय वंश के रूप में स्थापित करने का प्रयास करते थे ।
  2. प्रजा के प्रिय देवी देवताओं के मंदिर बनवाकर उनकी स्वीकृति प्राप्त करने का प्रयास किया जाता था।
  3. ब्राह्मणों को भू दान देकर वे उनसे अपनी प्रशंसा में प्रशस्तियांलिखवाना चाहते थे ।
  4. ब्राह्मणों को शासक से पूरा सहयोग मिलता था, जिसके कारण वह भी उसकी तुलना देवताओं से करता था।

7. तमिल क्षेत्र में किस तरह सिंचाई व्यवस्था का विकास हुआ ?

उत्तर – चोलों की कई उपलब्धियां कृषि में नए विकास के माध्यम से संभव हुई । कृषि का विकास सिंचाई व्यवस्था में सुधार के कारण हुआ तमिल क्षेत्र में सिंचाई व्यवस्था के क्रमिक विकास को निम्नलिखित रूप से समझा जा सकता है –

  1. कावेरी नदी बंगाल की खाड़ी में मिलने से पहले छोटी छोटी शाखाओं में बट जाती थी ।
  2. डेल्टा क्षेत्रों में तटबंधों को बनाकर वहाँ से अतिरिक्त पानी को नहरों के माध्यम से खेतों तक पहुंचाना था।
  3. कुछ इलाकों में कृत्रिम सिंचाई के लिए कुएं खोदे गए थे ।
  4. कुछ अन्य जगहों में बारिश के पानी को इकट्ठा करने के लिए विशाल सरोवर या तालाब बनाए गए थे ।
  5. पानी के समान बंटवारे के लिए संसाधनों को व्यवस्थित किया गया था ।

8.चोल मंदिरों के साथ कौन कौन सी गतिविधियांजुड़ी हुई थी ?

उत्तर- चोल मंदिरों के साथ निम्नलिखित गतिविधियां जुड़ी हुई थी जिनका वर्णन इस प्रकार है-

  1. चोल मंदिर अक्सर अपने आसपास विकसित होने वाली बस्तियों के केंद्र बन गए थे ।
  2. शिल्प उत्पादन केंद्र के रूप में भी मंदिरों का विकास हो रहा था ।
  3. मंदिर शासकों तथा अन्य लोगों द्वारा दी गई भूमि से संपन्न हो गए थे।
  4. पुरोहित,मालाकार, बावर्ची, मेहतर संगीतकार, नर्तककार इत्यादि सभी के भोजन का प्रबंध मंदिर भूमि से होता था।
  5. ये मंदिर, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन के केंद्र के रूप में विकसित हो रहे थे।
  6. मंदिर के साथ जुड़े हुए शिल्पोंमें सबसे विशिष्ट था- कांस्य प्रतिमाएं बनाने का काम।

9. जिस तरह के पंचायती चुनाव हम आज देखते हैं, उनसे उत्तरमेरूर के चुनाव किस तरह से अलग थे ?

उत्तर – आज के चुनाव चोलकालीन उत्तरमेरूर के चुनावों से निम्नलिखित प्रकार से अलग थे-

  1. उत्तरमेरूर के चुनाव को लड़ने के लिए व्यक्ति को कर देने वाली भूमि का स्वामी होना आवश्यक था, परन्तु आज के चुनावों में यह आवश्यक नहीं है।
  2. उत्तरमेरूर के चुनाव लड़ने वालों के पास अपना घर भी होना चाहिए था, परन्तु आज के चुनावों में यह भी जरूरी नहीं है।
  3. उत्तरमेरूर के चुनाव में व्यक्ति की आयु 35 से 70 के बीच होनी चाहिए परन्तु आज के चुनावों में कम से कम 25 तथा अधिकतम कोई सीमा नहीं है।
  4. उत्तरमेरूर के चुनाव के अनुसार व्यक्ति को वेदों का ज्ञान होना चाहिए, परन्तु आज के पंचायती चुनाव में यह भी जरूरी नहीं है
  5. उत्तरमेरूर के चुनावों में लगातार कोई व्यक्ति सदस्य नहीं बन सकता था परंतु आज के पंचायती चुनावों में ऐसा कोई बंधन नहीं है।
  • रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-
  1. ………………….शताब्दी के बाद कई राजवंशों का उदय हुआ।
  2. राजा योद्धा सरदारों को…………………… कहकर पुकारते थे।
  3. सामन्त अधिक शक्तिशाली होने पर………………………….. की उपाधि धारण करते थे।
  4. राष्ट्रकूट आरंभ में……………………… शासकों के अधीन थे।
  5. हिरण्यगर्भएक प्रकार का…………………………… था ।
  6. राजाओं के राजा को ……………………………….कहा जाता था।
  7. तीनों लोकोंके स्वामी को ………………………..कहा जाता था।
  8. राजस्व वसूली के लिए……………………………. की नियुक्ति की जाती थी।

उत्तर– 1. सातवी     2. सामन्त     3. महासामंत     4. कर्नाटक          5. अनुष्ठान        6. महाधिराज                                                              7. त्रिभुवन-चक्रवर्तीन      8.पदाधिकारियों

  • सत्य-असत्य का चयन करें–
  1. प्रशस्तियां राजा का आलोचनात्मक मूल्यांकन करती थी।
  2. प्रशस्तियां प्रायःसत्य ही होती थी ।
  3. विद्वानों द्वारा प्रशस्तियों को नहीं लिखा जाता था ।
  4. भूमि अनुदान प्रायः ब्राह्मणों को दिया जाता था।
  5. भूमि अनुदान अधिकार पत्र ताम्र धातु पर लिखा जाता था।
  6. कश्मीर केराजाओं का इतिहास कल्हण ने लिखा था ।
  7. राजतरंगिनी कश्मीर पर लिखी गई थी।
  8. 12 वीं शताब्दी में बृहत संस्कृत काव्य की रचना शुरू हुई थी ।
  9. 1191 इसवी में तराईन की दूसरी लड़ाई हुई।
  10. गजनवी और गौरी के बीच तराइन का युद्ध हुआ ।

उत्तर–1. असत्य   2. असत्य   3. असत्य  4. सत्य   5. सत्य  6. सत्य   7. सत्य   8. असत्य   9. असत्य    10. असत्य।

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