Pedagogical Analysis of Social Science

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Introduction

शिक्षण वह प्रक्रिया है जो उद्दीपन के माध्यम से वंचित व्यवहार परिवर्तन के लिए उत्तरदायी है। शिक्षक इस कार्य का संचालन करने के लिए अनेक अवस्थाओं से होकर गुजरता है। पैडागॉग, पैडागॉगी, पैडागॉजिकल कुछ ऐसे शब्द हैं जिनका शिक्षा तथा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में प्राय प्रयोग किया जाता है। इन शब्दों का प्रयोग तब से किया जा रहा है जब से अध्यापक को पेडागो शब्द से जाना जाता था। पहले स्कूल के अध्यापक को पैडागो कहा जाता था। पैडागॉग का अन्य अर्थ है पैडंटिक अध्यापक। पैडंटिक अध्यापक वह होता है जो पुस्तक अधिगम,  तकनीकी ज्ञान, नियम तथा नियमों से प्रतिबद्धता पर अत्यधिक बल देता है।

Meaning of pedagogical analysis

पैडागोगी जिसका अर्थ शिक्षण का विज्ञान है। विज्ञान को किसी भी वस्तु के क्रमबद्ध अध्ययन के रूप में परिभाषित किया जाता है, उसी प्रकार पैडागोगी भी एक क्रमबद्ध शिक्षण प्रक्रिया है।

विश्लेषण का अर्थ है किसी भी वस्तु को पहले भागों में बांटना और फिर क्रमबद्ध रूप से एक-एक भाग का अध्ययन करना तथा निष्कर्ष पर पहुंचना। किसी भी तथ्य का अधिगम प्राप्त करने के लिए उससे संबंधित भागों की पूर्ण जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है।

According to Oxford Advanced learners, “Pedagogy is the study of teaching method.”

 according to Webster,Pedagogy is an art or science of teaching specially instructions in teaching methods.”

शिक्षण शास्त्र एक प्रक्रिया के रूप में

(Pedagogical Process)

  1. संपर्क स्थापित करना
  2. लक्ष्य का चयन
  3. पूर्व ज्ञान की जांच
  4. कार्यों का चयन  —————-कार्यों की व्यवस्था करना
  5. अधिगम प्रक्रिया  —————छात्रों की प्रगति
  6. छात्रों की उपलब्धियां का आकलन

Importance of Pedagogical Analysis

  1. शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार – किसी भी कक्षा में पेडागोजी का इस्तेमाल करने से शिक्षा के गुणवत्ता में काफी सुधार होता है। इससे छात्र किसी भी विषय को आसानी से समझ और सीख पाते हैं।
  2. सहयोग के वातावरण को प्रोत्साहन – शिक्षा शास्त्र के कारण छात्र-छात्राएं आपस में एक दूसरे के साथ मिलकर पढ़ते हैं और किसी भी कार्य को साथ मिलकर पूरा करते हैं। इससे छात्रों को एक दूसरे से सीखने का भी अवसर मिलता है और उनके मध्य संबंध भी गहरा होता है।
  3. यह नीरस शिक्षा को समाप्त करता है – पेडागोजी ऐसी शिक्षा को समाप्त करता है जिसमें रटना होता है और प्रैक्टिकल कुछ भी नहीं होता। आज के समय में skill (कौशल) पर आधारित शिक्षा की आवश्यकता है। पेडागोजी की वजह से छात्र पढ़ाई के तरीके सीखते हैं क्योंकि नए तरीके से पढ़ाई करने से छात्रों का मन पढ़ाई में लगा रहता है और उनका दिमाग भी विचलित नहीं होता।
  4. इससे छात्र अपने तरीके से पढ़ाई करते हैं – यह छात्र को अपने तरीके से पढ़ाई करने में मदद करता है क्योंकि हर छात्र अलग-अलग तरीकों से चीजों को सीखता है और समझता है।
  5. शिक्षक और छात्र के बीच संचार में सुधार – शिक्षण शास्त्र शिक्षक और छात्र के बीच बातचीत में सुधार करता है जिससे शिक्षक छात्र को बेहतर ढंग से समझ पाता है और छात्र की कमजोरियों की पहचान कर पाता है तथा इन कमजोरियों पर विजय पाने में मदद करता है।
  6. सभी के लिए सुविधाजनक शिक्षक दृष्टिकोण – विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को संस्थानों में सीखने और सीखने के विभिन्न तरीकों की आवश्यकता होती है। एक उपयुक्त शैक्षणिक दृष्टिकोण के कार्यान्वन से उन्हें बेहतर ढंग से सीखने में मदद मिलेगी और उन्हें मुख्य धारा के शिक्षक समुदाय का हिस्सा बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
  7. सीखने के परिणाम का आकलन – शैक्षणिक विश्लेषण छात्रों के सीखने के परिणामों को माफ कर शैक्षिक कार्यक्रमों की प्रभावशीलता का आकलन करने में मदद करता है। मूल्यांकन और अन्य उपायों पर छात्र के प्रदर्शन की जांच करके शिक्षक यह निर्धारित कर सकते हैं कि सीखने के उद्देश्य को किस हद तक पूरा किया गया है और सुधार के क्षेत्र की पहचान कर सकते हैं।
Steps of Pedagogical Analysis

सामाजिक विज्ञान विषय के अध्यापक द्वारा शिक्षा शास्त्र विश्लेषण प्रक्रिया को संपादित करने के लिए निम्नलिखित सोपनो (Steps) को अपनाया जाना चाहिए जो इस प्रकार हैं –

  1.  विषय वस्तु विश्लेषण – विषय वस्तु विश्लेषण एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटक है क्योंकि इसमें किसी विषय वस्तु की जटिल इकाइयों को सरल एवं छोटी उप-इकाइयों में विभक्त किया जाता है। इसके लिए शिक्षक को शिक्षण सूत्र एवं विषय वस्तु की अच्छी जानकारी होनी चाहिए।
  2. अनुदेशनात्मक उद्देश्य – अनुदेशनात्मक उद्देश्यों के आधार पर शिक्षण प्रक्रिया प्रभावपूर्ण होनी चाहिए। इसके लिए एक शिक्षक को चाहिए कि वह व्यावहारिक उद्देश्यों के विभिन्न उपागमों की जानकारी रखता हो, जैसे ब्लूम टैक्सानॉमी। जब अनुदेशनात्मक उद्देश्यों को निर्धारित किया जाए तो उसे शिक्षार्थी केंद्रित रखने का प्रयास किया जाए। इसके अतिरिक्त शिक्षक को शिक्षण अधिगम के विभिन्न स्तरों की जानकारी भी होनी चाहिए ताकि विषय वस्तु को क्रमवार प्रस्तुत कर सकें।
  3. अधिगम विधि/प्रविधि – विधि एवं प्रविधि की सहायता से किसी भी प्रकरण या विषय वस्तु को बेहतर तरीके से समझाया जा सकता है। इसी की सहायता से विद्यार्थी शिक्षक एवं विषय-वस्तु के संपर्क में आता है। शिक्षक द्वारा इसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को भी शामिल किया जा सकता है जिसमें विभिन्न कौशलों का समावेश हो। शिक्षक अपने विषय के अनुरूप शिक्षक समग्रंथों का चयन भी कर सकता है।
  4. मूल्यांकन तकनीक का चुनाव – इस घटक का भी अपना महत्व है क्योंकि इसके प्रयोग से ही यह जाना जा सकता है कि उद्देश्यों की प्राप्ति हुई है या नहीं। शिक्षक को उपयुक्त मूल्यांकन उपकरण का चयन करना आना चाहिए। अब वह मूल्यांकन चाहे मौखिक, लिखित या व्यवहारिक गतिविधियों के रूप में हो किंतु उसका सही चयन ही उसकी सफलता निश्चित करती है।
शिक्षा शास्त्रीय विश्लेषण के लाभ
  1. विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने हेतु शिक्षक द्वारा प्रयास किया जा सकते हैं।
  2. इसके द्वारा शिक्षक विद्यार्थी आधारित अनुदेशन का चयन कर सकता है।
  3. इसके द्वारा अनुदेशनात्मक कार्यक्रम अधिक व्यवस्थित एवं विषय वस्तु आधारित बनाया जा सकता है।
  4. यह शिक्षक को किसी योजना को क्रियान्वित करने में सहायता करता है जिससे कि वह तत्काल प्रतिपुष्टि, निदान एवं उपचार संभव हो सके।
  5. इसकी मदद से शिक्षक उपयुक्त मूल्यांकन प्रक्रिया को भी क्रियान्वित कर सकता है।

निष्कर्ष

उपरोक्त अध्ययन के आधार पर कहा जा सकता है कि शिक्षा शास्त्रीय विश्लेषण इकाई या विषय सामग्री को पढ़ने की एक वैज्ञानिक व क्रमबद्ध व्यावहारिक शब्दावली है। इसे अध्यापक शिक्षण से पहले व्यावहारिक शब्दावली में तैयार करता है तथा कक्षा कक्ष में इसे क्रियात्मक रूप प्रदान करता है। अधिगम शिक्षण के लिए निर्धारित उद्देश्यों की सफलता में शिक्षा शास्त्रीय विश्लेषण की विशेष भूमिका होती है। उपरोक्त तथ्यों को आधार बनाकर इसकी सफलता को सुनिश्चित किया जा सकता है।

हमने pedagogical analysis of social science के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान  करने की कोशिश की है, उम्मीद करते हैं आपको अवश्य ही पसंद आयी होगी।

इसे भी पढ़ें-

  1. Classification-of-Values
  2. Importance-of-Values-of-Teaching-Social-Science

 

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