Vidhan Sabha

विधानसभा का मुख्य उद्देश्य राज्य के विकास और जनकल्याण के लिए कानून बनाना और नीतियां लागू करना है, ताकि राज्य की जनता का जीवन स्तर बेहतर हो सके। vidhan sabha के लिए यहां से पढें।

भूमिका और महत्व

विधानसभा, जिसे राज्य विधान सभा भी कहा जाता है, भारतीय राज्यों की प्रमुख विधायी निकाय है। यह राज्य की विधायी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और राज्य सरकार की नीतियों, योजनाओं, और कानूनों को बनाने और नियंत्रित करने का कार्य करती है। विधानसभा लोकतांत्रिक शासन का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है और राज्य की जनता की आकांक्षाओं और आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करती है।

विधान सभा (vidhan sabha) भारत के राज्यों में लोकतन्त्र की निचली प्रतिनिधि सभा है। यह विधान मण्डल का अंग है। इसके सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष तौर पर मतदान के द्वारा होता है जिसमें 18 वर्ष से ऊपर के सभी भारतीय नागरिक मतदान करते हैं। मुख्यमंत्री विधान सभा का नेता होता है जिसे बहुमत दल के सभी सदस्य या कई दल संयुक्त रुप से चुनते हैं। राज्‍य की विधान सभा में 500 से अधिक और कम से कम 60 सदस्‍य राज्‍य में क्षेत्रीय चुनाव क्षेत्रों से प्रत्‍यक्ष चुनाव द्वारा चुने जाते हैं।

संविधान के अनुच्छेद 371 (एक) के तहत सिक्किम की विधानसभा में 32 सदस्यों का प्रावधान किया गया है।

निर्वाचन प्रक्रिया

विधानसभा (vidhan sabha) के सदस्यों का चुनाव सीधे जनता द्वारा किया जाता है। राज्य को विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है, और प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक सदस्य का चुनाव होता है। चुनाव प्रथम-पास्ट-द-पोस्ट प्रणाली के तहत होते हैं, जिसमें प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में सबसे अधिक वोट प्राप्त करने वाला उम्मीदवार निर्वाचित होता है। चुनाव भारतीय चुनाव आयोग की देखरेख में होते हैं, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करता है।

कार्यकाल

विधानसभा का कार्यकाल आमतौर पर पांच वर्षों का होता है। विशेष परिस्थितियों में राज्यपाल विधानसभा को भंग कर सकते हैं। आपातकाल के दौरान विधानसभा का कार्यकाल एक साल तक बढ़ाया जा सकता है, लेकिन आपातकाल खत्म होने के छह महीने के भीतर इसे समाप्त होना चाहिए।

सदस्य की योग्यता

विधानसभा का सदस्य बनने के लिए कुछ योग्यताएं निर्धारित हैं :-

  1. उम्मीदवार की न्यूनतम आयु 25 वर्ष होनी चाहिए।
  2. उम्मीदवार भारतीय नागरिक होना चाहिए।
  3. उम्मीदवार को अपने निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन पत्र दाखिल करना चाहिए।
  4. उम्मीदवार मानसिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए और दिवालिया नहीं होना चाहिए।
  5. उम्मीदवार को किसी आपराधिक मामले में दोषी नहीं ठहराया गया होना चाहिए।
अधिकार और कार्य

विधान मंडल को संविधान की सातवीं अनुसूची में सूचीबद्ध सूची 2 और 3 के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार है जिनमें राज्‍य सरकार द्वारा किए जाने वाले सभी व्‍ययों, कर निर्धारण और उधार लेने के प्राधिकार शामिल हैं। राज्‍य विधान सभा को अकेले ही यह अधिकार है कि मौद्रिक विधेयक का उदभव करे। विधान सभा से मौद्रिक विधेयक प्राप्‍त होने के 14 दिनों के अंदर अनिवार्य पाए जाने पर विधान परिषद केवल इसमें किए जाने वाले परिवर्तनों की सिफारिश कर सकती है। विधान सभा इन सिफारिशों को स्‍वीकार या अस्‍वीकार कर सकती है।

कार्य और भूमिका

  1. विधायी कार्य : विधानसभा विभिन्न विधेयकों को प्रस्तुत और पारित करती है, जो बाद में कानून बन जाते हैं।
  2. वित्तीय कार्य : विधानसभा राज्य के बजट को पारित करती है और राज्य की वित्तीय नीतियों पर चर्चा करती है।
  3. प्रशासनिक निगरानी : विधानसभा राज्य सरकार की कार्यवाही की निगरानी करती है और प्रश्नकाल, शून्यकाल, और विभिन्न समितियों के माध्यम से इसे नियंत्रित करती है।
  4. जनप्रतिनिधित्व : विधानसभा के सदस्य अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनकी समस्याओं और मुद्दों को सदन में उठाते हैं।
  5. विशेष सत्र : आवश्यकता के अनुसार विशेष सत्र बुलाए जाते हैं, जिनमें तात्कालिक और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा और निर्णय लिया जाता है।
राज्यों में विधानसभा सीटों की संख्या 

भारत में विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विधानसभा सीटों की संख्या निम्नलिखित है :-

  1. आंध्र प्रदेश : 175
  2. अरुणाचल प्रदेश: 60
  3. असम: 126
  4. बिहार: 243
  5. छत्तीसगढ़: 90
  6. गोवा: 40
  7. गुजरात: 182
  8. हरियाणा: 90
  9. हिमाचल प्रदेश: 68
  10. झारखंड: 81
  11. कर्नाटक: 224
  12. केरल: 140
  13. मध्य प्रदेश: 230
  14. महाराष्ट्र: 288
  15. मणिपुर: 60
  16. मेघालय: 60
  17. मिजोरम: 40
  18. नागालैंड: 60
  19. ओडिशा: 147
  20. पंजाब: 117
  21. राजस्थान: 200
  22. सिक्किम: 32
  23. तमिलनाडु: 234
  24. तेलंगाना: 119
  25. त्रिपुरा: 60
  26. उत्तर प्रदेश: 403
  27. उत्तराखंड: 70
  28. पश्चिम बंगाल: 294
केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा सीटों की संख्या
  1. दिल्ली: 70
  2. पुडुचेरी: 30
  3. जम्मू और कश्मीर: 90 (जम्मू और कश्मीर राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2019 के बाद)

विधानसभा सीटों की संख्या राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की जनसंख्या और भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार निर्धारित की गई है। ये सीटें राज्य के विधायी निकाय में प्रतिनिधित्व प्रदान करती हैं और कानून बनाने, प्रशासनिक कार्यों की निगरानी और राज्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

निष्कर्ष

विधानसभा (vidhan sabha) राज्य सरकार की महत्वपूर्ण विधायी निकाय है, जो कानून बनाने, वित्तीय नियंत्रण, और प्रशासनिक निगरानी में प्रमुख भूमिका निभाती है। यह सीधे जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों का सदन है, जो जनता की आवाज को विधानसभा में पहुंचाता है और राज्य की शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने में योगदान देता है। विधानसभा का उद्देश्य राज्य के विकास और कल्याण के लिए कानून बनाना और नीतियों को लागू करना है, जिससे राज्य की जनता का जीवन स्तर ऊँचा हो सके।

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