What is Bloom Taxonomy in Hindi

वर्तमान की शिक्षा ब्लूम के वर्गीकरण पर ही आधारित है, जैसे एक अध्यापक पढ़ने से पहले उस प्रकाशन से जुड़े ज्ञानात्मक, बोधात्मक एवं क्रियात्मक उद्देश्यों का चयन करता है। what is bloom taxonomy in hindi के लिए यहां से पढें।

ब्लूम का वर्गीकरण (Bloom Texonomy) 

बेंजामिन ब्लूम (1913-1999) एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थे, जिन्होंने 1956 में प्रकाशित अपनी पुस्तक Texonomy of Educational Objectives में इस वर्गीकरण को दर्शाया, जो ब्लूम टैक्सनॉमी के नाम से प्रचलित हुई। वर्तमान की शिक्षा ब्लूम के वर्गीकरण पर ही आधारित है, जैसे एक अध्यापक पढ़ने से पहले उस प्रकाशन से जुड़े ज्ञानात्मक, बोधात्मक एवं क्रियात्मक उद्देश्यों का चयन करता है। यह सब ब्लूम के वर्गीकरण की ही देन है।

ब्लूम टैक्सॉनामी 1956 में प्रकाशित हुई। इसका निर्माण कार्य ब्लूम द्वारा हुआ, इसीलिए यह ब्लूम टैक्सॉनामी के नाम से प्रचलित हुई। ब्लूम के वर्गीकरण के आधार पर ही कई मनोवैज्ञानिकों ने अपने परीक्षण किए और वे अपने परीक्षणों में सफल भी हुए। इस आधार पर यह माना जाता है कि ब्लूम का यह सिद्धांत काफी हद तक सही है। बेंजामिन ब्लूम के वर्गीकरण में संज्ञानात्मक उद्देश्य, भावात्मक उद्देश्य व मनोशारीरिक उद्देश्य समाहित है। सर्वप्रथम हम संज्ञानात्मक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए निम्न बिंदुओं को जानेंगे –

संज्ञानात्मक उद्देश्य

संज्ञानात्मक उद्देश्य में ज्ञान, बोध, अनुप्रयोग, मूल्यांकन, संश्लेषण और विश्लेषण इत्यादि शामिल हैं।

    1. ज्ञान (Knowledge) – ज्ञान को ब्लूम ने प्रथम स्थान दिया क्योंकि बिना ज्ञान के बाकी बिंदुओं की कल्पना करना असंभव है। जब तक किसी वस्तु के बारे में ज्ञान नहीं होगा तब तक उसके बारे में चिंतन करना असंभव है और अगर संभव हो भी जाए तो उसको सही दिशा नहीं मिल पाती। इसी कारण ब्लूम के पंजीकरण में उसकी महत्ता को प्रथम स्थान दिया गया।
    2. बोध (Comprehensive) – ज्ञान को समझना, उसके सभी पहलुओं से परिचित होना एवं उसके गुण-दोषों के संबंध में ज्ञान अर्जित करना है।
    3. अनुप्रयोग (Application) – प्रयोग के लिए ज्ञान तथा बोद्ध का होना आवश्यक है। यह ज्ञान तथ्यों, सिद्धांतों, विचारों, नियमों, प्रक्रियाओं के प्रयोग से संबंधित है। इस उद्देश्य के तीन स्तर हैं-
      • तथ्यों, नियमों, अधिनियमों तथा सिद्धांतों का सामान्यीकरण।
      • छात्रों की कमजोरियों का निदान।
      • छात्रों द्वारा नियमों का प्रयोग।

यह अधिगमकर्ता की पूर्वानुमान की योग्यता का विकास करता है।

    1. विश्लेषण (Analysis) – विश्लेषण से ब्लूम का तात्पर्य तोड़ना अथार्त किसी बड़े प्रकरण (म) को समझने के लिए उसे छोटे-छोटे भागों में विभक्त करना एवं नवीन ज्ञान का निर्माण करना तथा नवीन विचारों की खोज करना है। यह समस्या के समाधान में भी सहायक है।
    2. संश्लेषण (Synthesis) – प्राप्त किए गए नवीन विचारों तथा नवीन ज्ञान को जोड़ना तथा उन्हें एकत्रित करना अर्थात उसको जोड़कर एक नवीन ज्ञान का निर्माण करना संश्लेषण कहलाता है।
    3. मूल्यांकन (Evaluation) – सब करने के बाद उस नवीन ज्ञान का मूल्यांकन करना कि यह सभी क्षेत्रों में लाभदायक है या नहीं। कहने का तात्पर्य है कि वह वैध (Validity) एवं विश्वसनीय (Reliability) है या नहीं। जिस उद्देश्य से वह ज्ञान छात्रों को प्रदान किया गया वह उस उद्देश्य की प्राप्ति करने में सक्षम है या नहीं। मूल्यांकन द्वारा पता लगाया जा सकता है।

भावात्मक उद्देश्य (Affective Domain)

Bloom Texonomy के अंतर्गत भावात्मक उद्देश्य (Affective Domain) का निर्माण क्रयवाल एवं मारिया ने 1964 में किया। इन्होंने छात्रों के भावात्मक पक्ष का ध्यान देते हुए कुछ प्रमुख बिंदुओं को हमारे सम्मुख रखा। भावात्मक पक्ष से तात्पर्य है कि उस प्रत्यय (Topic) के प्रति छात्रों के भावात्मक गुस्सा, प्यार, चिढ़ना, उत्तेजित होना, रोना आदि रूप का विकास करना।

    1. अनुकरण (Receiving) – भावात्मक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सर्वप्रथम बालकों को अनुकरण के माध्यम से ज्ञान प्रदान करना चाहिए। एक अध्यापक को छात्रों को पढ़ने के समय उस प्रकरण का भावात्मक पक्ष को महसूस कर उसको क्रियान्वित रूप देना चाहिए जिससे छात्र उसका अनुकरण कर उसको महसूस कर सके
    2. अनुक्रिया (Responding) – तत्पश्चात अनुकरण कर उसे अनुकरण के द्वारा क्रिया करना, अनुक्रिया कहलाता है।
    3. अनुमूल्यन – उस अनुक्रिया के बाद हम उसका मूल्यांकन करते हैं कि वह सफल सिद्ध हुआ कि नहीं।
    4. संप्रत्यय (Conceptualization) – हम उसके सभी पहलुओं पर एक साथ विचार करते हैं।
    5. संगठन (Organization) – उस प्रकरण को एक स्थान में रखकर उसके बारे में चिंतन करते हैं उसमें विचार करना शुरू करते हैं।
    6. चरित्रीकरण (Characterization) – तत्पश्चात हम उसे छात्र का एक चरित्र निर्माण करते हैं जिससे हमारे भीतर उसके प्रति एक भाव उत्पन्न होता है जैसे गुंडो के प्रति गुस्से का भाव और हीरो के प्रति सहानुभूति वाला भाव आदि।

मनोशारीरिक उद्देश्य (Psychomotor Domain)

Bloom Texonomy के अंतर्गत मनोशारीरिक उद्देश्य का निर्माण सिंपसन ने 1969 में किया। उन्होंने ज्ञान के क्रियात्मक पक्ष पर बल देते हुए निम्न बिंदुओं को प्रकाशित किया।

    1. उद्दीपन (Stimulation) – उद्दीपन से आशय कुछ ऐसी वस्तु जो हमें अपनी और आकर्षित करती है, तत्पश्चात हम उसे देखकर अनुक्रिया करते हैं जैसे भूख लगने पर खाने की तरफ क्रिया करते हैं। इस उदाहरण में भूख उद्दीपन हुई जो हमें क्रिया करने के लिए उत्तेजित कर रही है।
    2. कार्य करना (Manipulation) – उस उद्दीपन के प्रति क्रिया हमको कार्य करने पर मजबूर करती है।
    3. नियंत्रण (Control) – उस क्रिया पर हम नियंत्रण रखने का प्रयास करते हैं।
    4. समन्वय (Co-ordination) – उसमें नियंत्रण रखने के लिए हम उद्दीपन और क्रिया के मध्य समन्वय स्थापित करते हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)

ब्लूम के वर्गीकरण में ब्लूम ने छात्रों के ज्ञान एवं बौद्धिक पक्ष पर पूरा ध्यान केंद्रित किया है। वह छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए बौद्धिक विकास पर अत्यधिक बल देते हैं। उनका यह वर्गीकरण छात्रों के व्यवहार में वांछित परिवर्तन लाने हेतु काफी उपयोगी सिद्ध हुआ है।

हमने what is bloom taxonomy in hindi के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान  करने की कोशिश की है, उम्मीद करते हैं आपको अवश्य ही पसंद आयी होगी।

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